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लोकतंत्र का सच्चा प्रहरी ...

‘मेरे अंतिम संस्कार में तो आइएगा’, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे क्यों की ये भावुक अपील

मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘मैं भाजपा और आरएसएस की विचारधारा को हराने के लिए अपनी आखिरी सांस तक राजनीति में बना रहूंगा. मेरा जन्म राजनीति के लिए हुआ है.’लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार आज थम गया है. आखिरी दिन सभी राजनतीकि दलों ने पूरी ताकत झोंक दी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कर्नाटक में अपने गृह जिले कलबुर्गी में रैली की. इस दौरान मल्लिकार्जुन खड़के लोगों से भावनात्मक अपील करते नजर आए. उन्होंने कहा, ‘भले ही वे आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में वोट न दें, लेकिन अगर उनके लिए मैंने कुछ काम किया है तो कम से कम मेरे अंतिम संस्कार में जरूर शामिल हों.’कलबुर्गी के अफजलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अगर आप लोगों ने कांग्रेस उम्मीदवार को वोट नहीं दिया, तो मुझे लगेगा कि कलबुर्गी में अब उनके लिए कोई जगह नहीं है. कांग्रेस ने खरगे के दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि को भाजपा के मौजूदा सांसद उमेश जाधव के खिलाफ कलबुर्गी से मैदान में उतारा है.कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘अगर आप इस बार (कांग्रेस उम्मीदवार को) अपना वोट देने से चूक गए, तो मैं सोचूंगा कि मेरे लिए यहां कोई जगह नहीं है और मैं आपका दिल नहीं जीत सका. खरगे ने इस सीट से 2009 और 2014 में चुनाव जीता था लेकिन 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आप हमें (कांग्रेस को) वोट दें या नहीं, लेकिन अगर आपको लगता है कि मैंने कलबुर्गी के लिए काम किया है तो कम से कम मेरे अंतिम संस्कार में जरूर आएं.’उन्होंने यह भी कहा कि वह भाजपा और आरएसएस की विचारधारा को हराने के लिए अपनी आखिरी सांस तक राजनीति में बने रहेंगे. खरगे ने जोर देकर कहा, ‘मेरा जन्म राजनीति के लिए हुआ है. मैं चुनाव लड़ूं या नहीं लड़ूं, लेकिन इस देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए अपनी आखिरी सांस तक प्रयास करूंगा. मैं राजनीति से संन्यास नहीं लूंगा.’ उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति पद से होती है लेकिन किसी को अपने सिद्धांतों से सेवानिवृत्त नहीं होना चाहिए. मैं भाजपा और आरएसएस की विचारधारा को हराने के लिए पैदा हुआ हूं, न कि उनके सामने आत्मसमर्पण करने के लिए. खरगे ने उनके साथ मंच साझा करने वाले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को भी उनके सिद्धांतों का पालन करने की सलाह दी. उन्होंने कहा, ‘मैं सिद्धरमैया से बार-बार कहता हूं कि आप मुख्यमंत्री या विधायक के रूप में सेवानिवृत्त हो सकते हैं, लेकिन आप तब तक राजनीति से संन्यास नहीं ले सकते जब तक आप भाजपा और आरएसएस की विचारधारा को नहीं हरा देते.

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