अडाणी ग्रुप की कंपनी ‘कच्छ कॉपर’ ने मुंद्रा स्थित ग्रीनफील्ड कॉपर रिफाइनरी प्रोजेक्ट में प्रोडक्शन शुरू कर दिया है। कंपनी ने इस रिफाइनरी से कैथोड का पहला बैच कस्टमर्स को भेज भी दिया है। इसके साथ ही ग्रुप ने मेटल इंडस्ट्री में अपना पहला कदम भी रख लिया है।अडाणी ग्रुप ने इस प्लांट में 1.2 बिलियन डॉलर (करीब 10,008 करोड़ रुपए) इन्वेस्ट किया है। कॉपर स्मेल्टिंग के इस प्लांट को दो फेज में पूरा किया जाना है, जिसके पहले फेज में 5 लाख टन कॉपर का सालाना प्रोडक्शन होगा।वहीं, दूसरे फेज में इतने ही (5 लाख टन सालाना) क्षमता वाला एक और प्लांट बनाया जाएगा। यानी टोटल 10 लाख टन सालाना प्रोडक्शन के साथ यह सिंगल लोकेशन में स्थित दुनिया का सबसे बड़ा मेटल स्मेल्टर होगा।कंपनी ने आज यानी गुरुवार 28 मार्च को एक्सचेंज फाइलिंग में इस बात की जानकारी दी है। कच्छ कॉपर ने कहा कि इससे 2,000 डायरेक्ट और 5,000 इनडायरेक्ट नौकरियों के ऑप्शन खुलेंगे।भारत ने कॉपर प्रोडक्शन क्षमता को तेजी से बढ़ाकर चीन और दूसरे देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है। भारता अपने जरूरतों का 90% कॉपर साउथ अमेरिका सहीत कई अन्य देशों से इंपोर्ट करता है।2023 में भारत ने करीब 13 लाख टन कॉपर बाहर से खरीदा था, इस साल इसके बढ़कर 20 लाख टन होने की उम्मीद है। रेटिंग एजेंसी ICRA के मुताबिक, इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री करीब 40% कॉपर का इस्तेमाल करती है। वहीं, ऑटोमोबाईल और कस्टमर्स ड्यूरेबल्स में 11% से 13% कॉपर का इस्तेमाल करती है।कंपनी कच्छ कॉपर ट्यूब लिमिटेड भी बनाने पर काम कर रही है। कंपनी यहां से इलेक्ट्रिक अप्लाएंसेज के लिए कॉपर ट्यूब का प्रोडक्शन करेगी।कॉपर ट्यूब का इस्तेमाल रेफ्रिजेरेटर, गाड़ियों और कंस्ट्रक्शन कंपनियों में किया जाता है।कच्छ कॉपर के ऑपरेशन शुरू होने पर ग्रुप के चेयरमैन गौतम ने कहा, ‘कच्छ कॉपर ने ऑपरेशन शुरू कर दिया है, अडाणी पोर्टफोलियो वाली कंपनियां न केवल मेटल सेक्टर आ रहीं हैं, बल्कि भारत के मजबूत और आत्मनिर्भर भविष्य के सपने को भी पूरा कर रही हैं।हमारा एग्जीक्यूशन और बड़े प्रोजक्ट्स पर काम करने की क्षमता भारत को कॉपर सेक्टर में ग्लोबल लेवल पर आगे ले जाने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। 2070 तक कार्बन न्यूट्रल और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर के सपने को पूरा करने में कॉपर इंडस्ट्री का अहम योगदान होने वाला है।’