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ओडिशा में बीजेडी संग नहीं बनी बात, अकेले ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ेगी बीजेपी

ओडिशा में बीजेपी-बीजेडी गठबंधन को लेकर स्थिति साफ हो गई है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन समाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साफ किया कि बीजेपी ओडिशा में अकेले ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ेगी। काफी वक्त से दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही थी लेकिन सीटों के बंटवारे पर मामला अटक गया। बीजेडी ने कुछ दिन पहले से ही अपने उम्मीदवार भी घोषित करना शुरू कर दिया था।बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन समाल ने एक्स पोस्ट में लिखा कि ओडिशा की बीजेडी पार्टी केंद्र की मोदी सरकार के अनेक राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर समर्थन देती आई है, इसके लिए उनका आभार। साथ ही उन्होंने लिखा कि ओडिशा में मोदी सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएं जमीन पर नहीं पहुंच पा रही हैं, जिससे यहां के लोगों को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने लिखा कि ओडिशा-अस्मिता, ओडिशा-गौरव और ओडिशा के लोगों के हित से जुड़े कई विषयों पर हमारी चिंताएं हैं। उन्होंने लिखा कि बीजेपी इस बार लोकसभा की सभी 21 सीटों और विधानसभा की सभी 147 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।पिछला लोकसभा और विधानसभा चुनाव भी बीजेपी और बीजेडी ने अलग अलग ही लड़ा था। हालांकि 1998 से लेकर 2009 तक बीजेपी और बीजेडी साथ थी। जब केंद्र में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार थी तो बीजेडी नेता नवीन पटनायक उस सरकार में इस्पात और खान मंत्री थे। 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी-बीजेडी गठबंधन ने 21 में से 17 लोकसभा सीटें जीती थी। 1999 में हुए चुनाव में इस गठबंधन को 19 सीटें मिली। 2004 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन ने ओडिशा की 21 सीटों में से 18 पर जीत दर्ज की। 11 साल से ज्यादा वक्त तक बीजेपी के साथ गठबंधन में रही बीजेडी ने 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी से खुद को दूर कर लिया और एनडीए से बाहर निकल गई। पिछले लोकसभा चुनाव को देखें तो बीजेपी ने वहां अकेले चुनाव लड़कर 21 में से 8 सीटों पर जीत दर्ज की। 12 सीटें बीजेडी के पास गई और एक सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार जीते।लोकसभा के साथ ही ओडिशा में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ओडिशा विधानसभा में कुल 147 सीटें हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेडी को 112 सीटें मिली। कांग्रेस 9 पर सिमट गई और बीजेपी 23 सीटों के साथ मुख्य विपक्षी पार्टी बनी। बीजेडी ने साल 2000 में अपना पहला चुनाव लड़ा था। तब बीजेडी को 68 सीटें मिली। बीजेडी ने 38 सीट जीतने वाली बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और कांग्रेस की सरकार को बेदखल किया। बीजेडी और बीजेपी फिर 11 साल तक साथ रहे। 2009 का चुनाव अलग अलग लड़ा। तब बीजेडी को अपने दम पर बहुमत मिला। बीजेडी ने 103 सीटों पर जीत हासिल की और बीजेपी को 6 सीट पर ही जीत मिली। तब कांग्रेस की 27 सीटें थी। 2014 के चुनाव में बीजेडी के खाते में 117 सीटें आई। कांग्रेस को 16 और बीजेपी को 10 सीट मिली


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