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लोकतंत्र का सच्चा प्रहरी ...

सबको समान भाव से देखेगा ‘इंडिया’ गठबंधन का पीएम… शशि थरूर ने बता दिया कैसा होगा विपक्ष का प्रधानमंत्री

 लोकसभा चुनाव में दो चरणों के मतदान के बाद से सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों जीत का दंभ भर रहे हैं। मोदी सरकार 400 पार का दावा कर रही है तो दूसरी ओर इंडिया गठबंधन इस बार दिल्ली की कुर्सी पर खुद को देख रही है। इस बीच कांग्रेस के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने बताया कि अगर विपक्षी एकता जीत गई तो, उनका पीएम कैसा होगा। थरूर ने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार में लोगों को ऐसा प्रधानमंत्री मिलेगा, जो सबको समान भाव से देखता हो और दूसरों की बात सुनता हो। कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने कहा है कि एक साथ या एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार कर रहे विपक्षी दल लोकसभा चुनाव के बाद साथ आ जाएंगे। थरूर ने बातचीत में कहा कि गठबंधन सरकार को लेकर डर की कोई बात नहीं है।शशि थरूर ने बातचीत में कहा कि एक पार्टी की सरकारों की तुलना में ऐसी (गठबंधन) सरकारों के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर होता है। थरूर ने कहा कि यह “परिवर्तन” का चुनाव है और भाजपा ने विमर्श पर अपनी पकड़ खो दी है। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य थरूर ने अयोध्या में राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल नहीं होने के पार्टी के फैसले का भी बचाव किया और कहा कि निमंत्रण को अस्वीकार करना सही था क्योंकि यह प्रधानमंत्री मोदी के महिमामंडन के लिए आयोजित एक राजनीतिक समारोह था। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि मेरे विचार से अगर हमने ऐसा किया होता तो यह एक गलती होती। एक विशुद्ध राजनीतिक फैसले के तौर पर देखें तो यह सही निर्णय था।थरूर ने कहा कि यह सच है कि गठबंधन सरकार एकदलीय सरकार से बहुत अलग तरह से काम करती है। उन्होंने कहा कि मोदी की शैली, उनके व्यक्तित्व और भाजपा के शासन के तरीके को देखते हुए, मुझे लगता है कि यह कहना उचित होगा कि इंडिया गठबंधन की सरकार बीते दस वर्ष की इस सरकार से बहुत अलग होगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गठबंधन सरकारों के साथ भारत की जनता का रिकॉर्ड और अनुभव काफी अच्छा रहा है। थरूर ने कहा, ‘गठबंधन सरकार का एक लाभ यह होगा कि जो भी प्रधानमंत्री बनेगा वह निरंकुश प्रवृत्ति का नहीं होगा। उसे दूसरों को ध्यान में रखना होगा। सच कहूं तो, यह शासन की संसदीय प्रणाली का उत्कृष्ट राजनीतिक सिद्धांत है। अभी हम कई देशों में राष्ट्रपति के तहत चलने वाली संसदीय व्यवस्था देख रहे हैं, जो बहुत खराब है।’

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