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लोकसभा चुनाव से पहले मायावती को बड़ा झटका, राजस्थान में फिर शून्य हुई BSP, NDA का कुनबा बढ़ा

 उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती को लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है. आम चुनाव 2024 की तैयारी में जुटी बसपा अब भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में फिर से शून्य हो गई है. राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी के दो विधायक मंगलवार को एनडीए में शामिल हो गए. इस फेरबदल के साथ ही बसपा राजस्थान में फिर से शून्य हो गई है. दरअसल राजस्थान के सादुलपुर विधायक मनोज न्यांगली और धौलपुर के बाड़ी विधायक जसवंत गुर्जर शिवसेना में शामिल हो गए हैं. मंगलवार को इन दोनों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना का दामन थामा. यह पहला मौका नहीं है जब राजस्थान में बसपा के विधायकों ने पाला बदला हो. दरअसल में राजस्थान में बसपा के विधायकों का दल बदलने का सिलसिला पुराना है. लेकिन इस बार बसपा के विधायकों ने कांग्रेस की बजाए भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए का दामन थामा है. इस फेरबदल से लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए और मजबूत हो गई है. राजस्थान में बीते साल हुए विधानसभा चुनावों में बसपा के जिन दो विधायकों ने जीत हासिल की थी, वे अब शिवसेना के पाले में चले गए हैं. बहुजन समाज पार्टी के सादुलपुर विधायक मनोज न्यांगली और धौलपुर के बाड़ी विधायक जसवंत गुर्जर शिवसेना में शामिल हो गए हैं. इन दोनों विधायकों ने मुंबई में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना का दामन थाम लिया है. इन दोनों से पहले भरतपुर जिले के बयाना रूपवास की निर्दलीय विधायक रितु बनावत ने भी शिवसेना को समर्थन दिया था. हालांकि कुछ दिनों बाद वो भाजपा में शामिल हो गई थी. दरअसल, पिछले 10 सालों के सूबे के राजनीतिक इतिहास को देखें तो बसपा विधायक कांग्रेस को ही किसी ना किसी तरह समर्थन देते रहे हैं लेकिन इस बार बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना मायावती के विधायकों को अपने पाले में ले जाने में कामयाब हो गई. दो बार  गहलोत सरकार में राजस्थान में दो बार ऐसा हो चुका है जब बसपा के 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे.असल, में किसी एक दल या निर्दलीय विधायक चुने जाने के बाद किसी दूसरे दल को समर्थन देने से उनकी विधानसभा सदस्यता खतरे में नहीं आती है. ये पूरी तरह से पाला बदलने का तकनीकी पहलू है. राजस्थान में पिछले बरस में हुए विधानसभा चुनावों में चुरू की सादुलपुर सीट से बसपा के टिकट पर मनोज न्यांगली ने जीत हासिल की थी. बसपा के न्यांगली ने कुल 64,368 वोट हासिल कर 2,574 वोटों के अंतर से जीत हासिल की जहां 2018 के चुनावों में करीब 18 हजार वोटों से जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस की कृष्णा पूनियां की इस बार जमानत जब्त हो गई थी. जबकि धौलपुर की बाड़ी सीट से बसपा के जसवंत गुर्जर ने 27424 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. जसवंत ने बीजेपी के गिर्राज मलिंगा को हराया था  मलिंगा चुनावों से कुछ समय पहले ही बीजेपी में शामिल हुए थे. हाल में मुख्यमंत्री भजनलाल की सभा में बीएसपी विधायक जसवंत सिंह गुर्जर की खुले मंच पर एंट्री हुई थी और उन्होंने जहां बीजेपी प्रत्याशी इंदु देवी जाटव के समर्थन में वोट मांगे थे. धौलपुर के सैंपऊ कस्बे के ऐतिहासिक महादेव मंदिर पर हुई इस सभा में भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा नदारद रहे लेकिन जसवंत गुर्जर के मंच साझा करने के बाद उनके बीजेपी को समर्थन देने की अटकलें लगाई जा रही थी. वहीं सादुलपुर से विधायक मनोज न्यांगली भी बीते दिनों चुरू से बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र झाझड़िया के समर्थन में चुनाव प्रचार करते हुए भी दिखाई दिए थे. इससे पहले बीते दिनों भरतपुर के बयाना विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक डॉ. रितु बनावत ने भी एकनाथ शिंदे की शिवसेना को समर्थन दिया था. बनावत ने मुंबई में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में उनके वर्षा निवास पर आयोजित कार्यक्रम में शिवसेना की रीति-नीतियों और एकनाथ शिंदे की विचारधारा में भरोसा जताया था.

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