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लोकतंत्र का सच्चा प्रहरी ...

अमेठी-रायबरेली में दावेदारी पर संशय में क्यों हैं कांग्रेसी?

अमेठी और रायबरेली लोकसभा चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति यूपी कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा था कि इस बार भी अमेठी से लड़ेंगे राहुल गांधी सोनिया गांधी पांच सालों के दौरान रायबरेली में बहुत कम सक्रिय रही हैं राहुल गांधी भले ही अमेठी से सांसद नहीं हों, लेकिन यहां के कांग्रेस कार्यकर्ताओं का संपर्क अब भी राहुल गांधी और प्रियंका से बरकरार है। जिले की कांग्रेस इकाई का एक धड़ा बिल्कुल आशान्वित है कि राहुल गांधी अगले साल का चुनाव यहीं से लड़ेंगे। जबकि उनके पास अपनी इस उम्मीद का कोई पुख्ता आधार नहीं है। उनका बस मानना है कि राहुल गांधी को यहीं से चुनाव लड़ना चाहिए और वह इस बार यही करेंगे भी। जबकि इन उम्मीदों के विपरीत कांग्रेस में ही कुछ लोगों का तर्क है कि चुनावी परिस्थितियों को देखते हुए राहुल यहां से चुनाव नहीं लड़ेंगे। क्योंकि यह जोखिम उनके राजनीतिक जीवन के लिए काफी बड़ा है। परिणाम पक्ष में रहने पर राहुल गांधी की इमेज पर बेहद सकारात्मक असर पड़ेगा जबकि एक और हार उनके राजनीतिक सफर में कई मुसीबतें लेकर आएगी। वहीं, रायबरेली के तमाम कांग्रेस नेताओं का मानना है कि सोनिया गांधी की उम्मीदवारी शायद इस बार न हो। उनके तर्क हैं कि चुनाव को लेकर किसी भी तरह की सक्रियता अब तक नहीं दिखाई दे रही है। पिछले चुनाव के बाद से ही सोनिया गांधी रायबरेली से दूर हैं। इसके अलावा उच्च स्तर से भी चुनावी तैयारियों को लेकर भी सक्रियता फिलहाल शून्य है। यहां के कांग्रेस के लोगों के मुताबिक जिले के काम और बाकी चीजों को लेकर सोनिया गांधी के संदेश और उनका दखल हमेशा रहता था, जोकि इस बार नहीं दिख रहा है। अगर राहुल और सोनिया अमेठी-रायबरेली की सीट छोड़ते हैं तो इन दोनों सीटों पर कांग्रेस की नुमाइंदगी कौन करेगा, इसको लेकर भी काफी चर्चा है। सक्रिय राजनीति में आने के बाद सोनिया गांधी ने पहला चुनाव अमेठी से लड़ा था और जब राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री हुई तो उन्होंने अपने लिए रायबरेली चुना जबकि राहुल गांधी अमेठी का प्रतिनिधित्व करने लगे। तब से अब तक कभी भी अमेठी और रायबरेली से उम्मीदवारी को लेकर कभी उहापोह की स्थिति नहीं बनी थी। हालांकि इस बार चुनाव के पहले दिख रही तस्वीर उतनी साफ नहीं है, लिहाजा कयासों का बाजार गर्म है। साल 2019 का चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी का अमेठी जाना कम ही हुआ है। वह एक बार परिणाम आने के बाद अमेठी पहुंचे थे जबकि दूसरी बार महंगाई के खिलाफ एक आंदोलन में हिस्सा लेने गए थे। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी के दो अक्टूबर से पहले अमेठी आने की संभावना है। वहीं, इसके पहले वह अमेठी के कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी मिलेंगे। इंदिरा गांधी रायबरेली से जबकि संजय गांधी अमेठी से 1978 में लोकसभा चुनाव हार गए थे। हालांकि इसके बाद दोनों नेताओं ने 1980 में फिर उसी सीट से लड़ने का जोखिम उठाया और दोनों जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। यह बात अलग है कि इंदिरा गांधी ने तेलंगाना के मेडक और रायबरेली दोनों सीटों से जीत दर्ज की थी और परिणाम के बाद उन्होंने रायबरेली की सीट छोड़ दी थी। ऐसे में राहुल गांधी के लिए सवाल यही हैं कि क्या वह अपने चाचा और दादी की राह पर चलेंगे या कोई दूसरा रास्ता चुनेंगे। सवाल यह भी हैं कि क्या वह अमेठी के साथ-साथ वायनाड का भी चुनाव लड़ेंगे और जीतने के बाद अमेठी छोड़ेंगे जैसे इंदिरा ने रायबरेली छोड़ दी थी? हालात तो फिलहाल यही इशारा कर रहे हैं कि राहुल गांधी सिर्फ अमेठी से चुनाव लड़ने का जोखिम तो नहीं लेंगे।

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