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लोकतंत्र का सच्चा प्रहरी ...

जब एक वोट से चुनाव हार गए थे सीपी जोशी, अब कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल के तहत भीलवाड़ा से उतारा मैदान में

देश में लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का प्रत्याशी घोषित होना बाकी है. ऐसे में भीलवाड़ा में बीते 4 दिन बड़े उथल-पुथल वाले रहे हैं. कांग्रेस ने अपना टिकट बदला है. कांग्रेस प्रत्याशी डॉक्टर सीपी जोशी की कपड़ा नगरी से उम्मीदवारी के साथ ही उनसे जुड़े रोचक किस्से चर्चा का विषय बने हुए हैं. वैसे तो अपने लंबे राजनीतिक इतिहास में कई किस्से डॉक्टर सीपी जोशी से जुड़े हुए चर्चित है. मगर सबसे ज्यादा चर्चा में डॉक्टर जोशी की एक मत से हार का किस्सा है.साल 2008 में डॉक्टर सीपी जोशी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे. वर्ष 2008 का विधानसभा चुनाव डॉक्टर जोशी ने अपने घर नाथद्वारा से लड़ा. जहां डॉ जोशी का मुकाबला भाजपा के कल्याण सिंह से था. इस करीबी मुकाबले वाले चुनाव में 71.5% वोटिंग हुई. 1 लाख 32 हजार 7 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. चुनाव में कल्याण सिंह को 62 हजार 216 मत मिले. डॉक्टर सीपी जोशी ने 62 हजार 215 मत हासिल किए. ऐसे भाजपा प्रत्याशी स्वर्गीय कल्याण सिंह से मात्र एक वोट से डा जोशी पराजित हुए. चुनाव में हार मिलने के बाद भी मेवाड़ अंचल से डॉ जोशी सीएम की रेस में बने रहे. मगर विधायकों की संख्या बल के मामले में एक मत से हारे डॉक्टर जोशी विधायकों की पर्याप्त संख्या नहीं जुटा पाए. सीएम की रेस से बाहर हुए डा जोशी केंद्रीय राजनीति में अचानक सक्रिय हो गए.डॉ सीपी जोशी के नाथद्वारा से चुनाव हारने के बाद 2009 में उन्होंने भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से अपना भाग्य आजमाया. 2 राजनेता ऐसे थे राजस्थान में जो विधानसभा चुनाव हारने के बाद में उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ाया गया. पहले डॉ जोशी और दूसरे लालचंद कटारिया थे. डॉक्टर जोशी को भीलवाड़ा से तो लालचंद कटारिया को जयपुर ग्रामीण से प्रत्याशी बनाया गया दोनों ही चुनाव जीते और केंद्रीय मंत्री बने.डॉ सीपी जोशी मेवाड़ के वरिष्ठ राजनेता है. डॉक्टर सीपी जोशी ने राजसमंद के नाथद्वारा सीट से सियासी सफर की शुरुआत की. साल 1980 में पहला चुनाव जीतने के बाद जोशी 1985 में दूसरी बार विधायक चुने गए. जबकि 1990 में डॉक्टर सीपी जोशी को हार का सामना करना पड़ा. वहीं वर्ष 1998 में तीसरी बार उन्होंने जीत दर्ज की और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पहले कार्यकाल में शिक्षा व पंचायत राज मंत्री बनें. वर्ष 2003 में चौथी बार विधायक बने. 2008 के विधानसभा चुनाव में नाथद्वारा से कल्याण सिंह से मात्र एक वोट से हार गए थे. केंद्रीय मंत्री के रूप में डॉक्टर जोशी ने सार्वजनिक समारोह में बोलते हुए वादा किया था कि जब तक चंबल का पानी भीलवाड़ा को नहीं मिलेगा, वह कपड़ा नगरी से चुनाव नहीं लड़ेंगे. पानी नहीं मिला तो डा.जोशी ने भीलवाड़ा लोकसभा सीट छोड़ 2014 में जयपुर ग्रामीण क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा, वहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

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