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मिल्क प्रोडक्ट्स में प्रोटीन बाइंडर्स मिलाने पर रोक, FSSAI ने कहा

 भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने गुरुवार को साफ किया है कि दूध और दूध उत्पादों में प्रोटीन बाइंडर्स को जोड़ने की अनुमति नहीं है। डेयरी प्रॉडक्ट में एंजाइमों का उपयोग अक्सर प्रोटीन बाइंडर्स के रूप में किया जाता है, इससे दही का स्वाद बदल जाता है। एफएसएसएआई का कहना है कि दूध उत्पादों में इस तरह के एंजाइमों को नहीं मिलाना चाहिए। नेचरल तरीके से बनी दही ही बेहतर होती है।प्रोटीन बाइंडर्स का इस्तेमाल किया जाता है, तो इससे दूध उत्पादों को पचाने में दिक्कत हो सकती है। FSSAI का कहना है कि हर डेयरी उत्पाद में यूनीक, अच्छी तरह से स्वीकृत बनावट और अन्य विशेषताएं होती हैं। ऐसे में दूध और दूध उत्पादों में प्रोटीन बाइंडर्स जैसी किसी भी सामग्री को जोड़ने की जरूरत ही नही हैं।नए खाद्य उत्पादों, विशेष रूप से सेमी- सॉलिड या सॉलिड फूड्स के निर्माण के लिए बाइंडिंग एजेंट सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है। पनीर बनाने की प्रक्रिया में भी इस तरह के पदार्थ का प्रयोग किया जाता है। हालांकि, ऐसा प्रयोग प्रोटीन के पाचन को प्रभावित कर सकता है। इस प्रकार दूध प्रोटीन के जैविक और पोषक मूल्य को भी प्रभावित कर सकता है। दूध प्रोटीन का जैविक मूल्य अधिक है, क्योंकि यह आवश्यक अमीनो एसिड का अच्छा सोर्स है।दही प्रोबायोटिक्स का नेचुरल सोर्स होता है, जो आंतों के हेल्दी माइक्रोबायोम को बढ़ाने में सहायक होते हैं। रोज दही खाने से पाचन अच्छा रहता है। साथ ही इम्यून डिसऑर्डर की संभावना कम हो जाती है। दही में एंजाइम होते हैं जो लैक्टोज को पाचने में सहायता करते हैं। इससे लोगों को लैक्टोज इंटोलरेंस की समस्या में आराम मिलता है। यह पेट को भी आराम देता है। दही खाने से गैस, इनडाइजेशन और एसिडिटी में भी राहत मिलती है।

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