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लोकतंत्र का सच्चा प्रहरी ...

25 नेताओं के नतीजों पर रहेगी सबकी नजर, दो नेताओं का हो सकता है अंतिम चुनाव

राजस्थान विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद परिणाम का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था. अब वो घड़ी आ गई है जब प्रदेश में नई सरकार का गठन होगा, यह अलग बात है कि कांग्रेस सरकार दुबारा सत्ता में आएगी या फिर बीजेपी प्रदेश में सरकार बनाएगी. इन सबसे इतर इस रविवार विधानसभा चुनाव के परिणाम के दौरान लोगों की नजरें कुछ खास नेताओं पर टिकी होंगी. जहां तक चुनावी समर में उतरे दिग्गज नेताओं की बात है तो सत्तारूढ़ कांग्रेस की ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, मंत्री शांति धारीवाल, बीडी कल्ला, भंवर सिंह भाटी, सालेह मोहम्मद, ममता भूपेश, प्रताप सिंह खाचरियावास, राजेंद्र यादव, शकुंतला रावत, उदय लाल आंजना, महेंद्रजीत सिंह मालवीय तथा अशोक चांदना व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पर जनता की नजरें टिकी होंगी.वहीं भाजपा के प्रमुख उम्मीदवारों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया तथा सांसद दीया कुमारी, राज्यवर्धन राठौड़, बाबा बालकनाथ व किरोड़ी लाल मीणा मैदान में हैं. रविवार को मतगणना के दिन जनता की निगाहें भाजपा के इन दिग्गज नेताओं पर टिकी होंगी.अमीन खान और बुलाकीदास कल्ला (बीडी कल्ला) का यह अंतिम चुनाव हो सकता है. कल्ला भले ही कई बार चुनाव जीतकर विधान सभा पहुंचे, लेकिन उनके जीत का मार्जिन कभी भी बहुत ज्यादा नहीं रहा. वर्ष 1980 में बुलाकीदास कल्ला 1,855 वोट से चुनाव जीते थे. उसके बाद उन्हें 1998 में एक बार 19,675 मतों से जीत मिली है. वर्ष 2008 और 2013 में दो बार लगातार हारने के बाद वर्ष 2018 में 6,190 मतों से जीत मिली. कल्ला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. वहीं अमीन खान साल 1980 से शिव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते आ रहे हैं. अमीन खान को पहली बार इस सीट से टिकट के लिए चुनौती मिली थी. बाड़मेर से लगातार 15 सालों से कांग्रेस के जिला अध्यक्ष फतेह खान ने शिव विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी की थी और उनकी पैरवी पूर्व राजस्व मंत्री एवं पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी मजबूती के साथ कर रहे थे. अमीन खान शिव विधानसभा सीट से लगातार 10वीं बार टिकट हासिल करने में कामयाब रहे हैं. इन 10 चुनावों में अमीन खान 5 बार विधायक बने है तो 4 चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है.

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